वेटिंग शायरी

 खिली हंसी का मौसम कहां चला गया पता नहीं
 अब किसी से आंखों में आंखें डालने की हिम्मत रही नहीं मौसम लौटेगा एक दिन बैठा हूं इसी भरोसे
तू ही वापस लाैटेगा भी या नहीं पता नहीं


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